प्रेम की पुजारिन बनी मीरा यूँ दिवानी,
दिन रात भयी मगन गोविन्द नाम गावे में!
भूख प्यास सब गयी राग रंग भूल गयी,
लग गयी सब विधि हरि कूं रिझावे में!!
राणा जी के भेजे विष को भी पी गयी,
प्रभु को प्रसाद मान जाने अनजाने में!
ऐसी जो लगन जाकि हरि में लगे तो,
कहा देर लगे प्रभु कूं दरस दिखावे में!!
सांवरे की धुन में मगन चली जाय रही,
राधा रानी कूं सांवरे की छवि भा रही!
सखियन संग ले यमुना के तट जा रही,
सांवरे की मुरली मनमोहक धुन गा रही!!