तेरे इतने कड़वे बोल खंजर से चुभ गए

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शीर्षक:-कड़वे बोल

तेरे इतने कड़वे बोल खंजर से चुभ गए।
ऐसा लगा मानो दिल में खंजर उतर गए।।

जाने किस घड़ी का बदला लिया है मुझसे।
जो रहते थे दिल में वो दिल से उतर गए।।

माना कि खता थी हमारी मगर ऐसी भी न थी।
किनसे थे वो खफा और हम पर बरस गए।।

तेरी आरजू में सूनी सूनी सी है ये जिंदगी।
कुछ पल सोचते कुछ ख्यालों में गुजर गए।।

मेरे प्यार की इस तरह से रूसवाईयां न कर।
बैठे रहे इंतजार में तेरे राह तकते गुजर गए।।

अब तो ये आलम है कि कटती नहीं है रातें।
आंखों में तेरे ख्वाबों को देखते हुए गुजर गए।।

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