मुरली की धुन सुन भयीं सब बावरी सी,
यमुना के तट पे यूँ खिंची चली जात हैं!
सांवरे की छवि मन मंदिर में बसे यूँ,
प्रेम की दीवानी राधे रानी के साथ हैं!!
ग्वाल बाल संग नंद बाबा की गायन कूं,
मदन मुरारी फिरत फिरत चरात हैं!
सिर पे दही माखन की मटुकी धरे!
बिरज की गोपियाँ नंदलाला कूं रिझात हैं!!
ar tincidunt felis consequat.