अरे तेरो लाला मदन गोपाला, करे माखन की चोरी रोज!
ग्वाल बाल संग धूम मचावे, मटकी फोड़े हमारी रोज!!
समझाय ले री मैया यशोदा, नहीं तो झगड़ो होगो रोज!
जायें बाजार कूं माखन बेच बे, रस्ता में मिल जावे रोज !!
बिन दिये माखन नाय टरै, इतनो करै है नाटक रोज!
याय देखे बिन चैन परे ना, झूठी शिकायत करें हैं रोज!!