ग़ज़ल

आंखों में समंदर है

तेरी आंखों में समंदर दिखाई देता है।
ये हसीन चेहरा उदास दिखाई देता है।।

झुकी हुई सी निगाहें बयां करती है।
गमों का दरिया बहता दिखाई देता है।।

हमारे इश्क पे फिर से सवाल उठा होगा।
यह खामोशी का असर दिखाई देता है।।

हर मुश्किल से निकलना कहां आसां है।
यहां मुश्किलों का पहाड़ दिखाई देता है।।

हैं अगर उस पे यकीं तो फिक्र क्यों है।
उसपे सवाल का जवाब दिखाई देता है।।

जिंदगी भर कदम पर इम्तिहान लेती है।
वो हौसलों से हारा हुआ दिखाई देता है।।

नकाब बदलते है

बदल रहा आज मानव स्वरूप ,
छल,कपट, प्रपंच सब करते हैं।
अपने इन कर्मों को छुपाने को,
हर पल नकाब बदलते हैं।।

मेरी हजार खताओं को दरकिनार कर गए

विधा -गजल
शीर्षक:- पिता

मेरी हजार खताओं को दरकिनार कर गए।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।
परिवार को संभालने में गुजारी जिंदगी अपनी।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।
दुनिया की सब मुश्किलों से उबारा उन्होंने मुझे।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।
मेरी जिंदगी बना दी खुद को खपाकर जिन्होंने।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।
किससे करूं शिकायत और किससे सलाह लूं।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।
जिंदगी की हकीकत को जाने मैंने अभी अभी।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।

आंखों से अश्कों का बहना खूब रहा है

विषय:-आंखों से अश्कों का

आंखों से अश्कों का बहना खूब रहा है।
अरमानों को दिल में दबाना खूब रहा है।।
अपना अक्सर मिलना मिलाना खूब रहा है।
तेरे मेरे प्यार का अफसाना खूब रहा है ।।
जिंदगी में मुश्किलों का आना खूब रहा है।
मिलकर हर मुश्किल सुलझाना खूब रहा है।।
नजर ही नजर में नजर मिलाना खूब रहा है।
नजर से नजर में बातें समझाना खूब रहा है।।
बंदगी को तेरी हमारा दर पे आना खूब रहा है।
मुश्किलों में खुदी का एहसास खूब रहा है।।