पिता

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मेरी हजारों खताओं को दरकिनार कर गए।
निश्चिंत रहा जिनके साये में पिता गुजर गए।।

परिवार को संभालने में गुजारी जिंदगी अपनी।
अपने शौक ,खुशियां को दरकिनार कर गए ।।

दुनिया की सब मुश्किलों से उन्होंने उबारा हमें।
हर कदम पर हमारे लिए दीवार बन कर गए।।

मेरी जिंदगी बना दी खुद को खपाकर जिन्होंने।
जीवन ईमानदारी और नेकनीयती में बसर गए।।

किससे करूं शिकायत और किससे सलाह लूं।
जिन्होंने सिखाई दुनियादारी वो कूच कर गए।।

जिंदगी की हकीकत को जाना उनके जाने के बाद।
अपने सत्कर्मों से जगत में अपनी छाप छोड़कर गए ।।

हर एक की जुबान पर चढ़ा रहता था उनका नाम।
वो जाने कितने लोगों के जीवन संवार कर गए।।

अपने हंसमुख स्वभाव और दूसरों की मदद की।
सिर्फ यही कमाई कर हमारे लिए छोड़ कर गए।।

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