उम्मीदें तैरती रहीं आंखों की झील में

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 उम्मीदें तैरती रहीं आंखों की झील में,

दिल में उदासी लिए बैठी सुकुमारी हैं!

राधा संग सखियन के कालिंदी तीर पर,

देखती है राह मदनमोहन की प्यारी हैं!!

मुरली की धुन ऐसी छेड़ी बनवारी ने,

सुधबुध तन की सब भूली राधारानी है!

प्रेम को प्रसंग संग राधाके मुरारी ने,

छेड़ बन छलिया के दिल में प्रिय रानी हैं!!

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