उसूलों पे जहां आंच आये

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जीवन में कभी ऐसा मौका आए।
कहीं उसूलों पर जहां आंच आए।।
जब मन भी दुविधा में पड़ता जाए।
उस राह से मुंह मोड़ लिया जाए।।

तुमको पैदा किया मात-पिता ने,
उनका सेवा सम्मान किया जाए,
वो साक्षात देवता हैं घर में अपने,
उनका दिल से आशीर्वाद लिया जाए।।

अपने तुच्छ स्वार्थ की खातिर।
चंद सिक्कों में न बिक जाए।।
तुम पर अनैतिकता न हावी हो।
सिद्धांतों की बलि ने चढ़ जाए।।

यह मन हमेशा तुम्हें कचोटेगा।
एक पल न चैन से रहने देगा।।
ईश्वर को क्या मुंह दिखलाओगे।
इस बात का ध्यान रखा जाए।।

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