पुनरावृत्ति

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तुमसे बस यही कहना चाहता हूं,
पुनरावृत्ति न हो खताओं की मेरी।
हर आता से सीखूं सबक मैं नया,
नई राह ऐसी पकड़ना चाहता हूं।।

बहुत कुछ दिया है ऊपर वाले ने,
शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
अगर काम आ जाऊं मैं किसी के,
खुद को ऐसा बनाना चाहता हूं।।

हर मुश्किल आसान हो सकती है,
हौसला मैं ऐसा रखना चाहता हूं।
समय बदल देता है जब राहें,
खुद की नीयत अटल चाहता हूं।।

ज़माना कभी साथ नहीं देता किसी का,
अपने बाजुओं का भरोसा चाहता हूं।
मुझे कामयाबी मिल के रहेगी इक दिन,
खुद को फलक पे देखना चाहता हूं।।

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