बुजुर्गों का दुख

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यह हमारे संस्कारों में कमी,
सिर्फ आधुनिक शिक्षा दे पाए।
थोड़ा जोड़ा होता अपने लिए तो,
क्यों हम आश्रित रह पाए।।

यह वक्त है सभी के लिए कठिन,
हमको भी समझना होगा।
बच्चों को रहने दो स्वतंत्र ,
इस रोग से हमें लड़ना होगा।।

यदि अनाथ बच्चों के साथ ,
बुजुर्गों को भी रखा जाए।
उनका सुंदर जाते जीवन हमें,
जीने का लक्ष्य मिला जाए।।

क्यों सोचें हमने जिनको पाला,
आज उन्हें हमारी परवाह नहीं।
यह समय चक्र का ऐसा फेरा है,
हमसे मिलने को उन्हें समय नहीं।।

हम मिलकर करें ऐसे घर का निर्माण,
जहां अनाथ बच्चे और बुजुर्ग रहें।
हम उनको दे अपना ममत्व ,
आगे पढ़ने लिखने की प्रेरणा दें।।

ना रहे कोई शिक्षा रोटी से वंचित,
हर किसी युवा को रोजगार मिले।
सब मिलकर करें काम राष्ट्र के लिए,
एक जिम्मेदार समाज बने।।

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