मधुशाला

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मंदिर मस्जिद बने मजहब को अलग अलग।
पंडित और मौलवी को मिलाती मधुशाला।।

जीवन जीने के चक्कर में थककर चूर हुआ।
कदम बहकते जा पहुंचे गम भुलाने मधुशाला।।

जाति पांत के झगड़े में ना जाने कितने कत्ल हुए।
सबको साथ बिठा महफ़िल जमाती मधुशाला।।

ना कोई अमीर यहां और ना ही कोई गरीब है।
सब के जाम टकराते मेल कराती मधुशाला।।

घर में दिल घुटता है तो चिंता की बात नहीं।
साथ दोस्तों के मौजमस्ती कराती मधुशाला।।

दिल टूटा तेरा इश्क में माशूका भी छोड़ गई।
सभी लोगों का दिल बहलाती ये मधुशाला।।

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