बीबी साली दोनों खड़ी,कांटे लागूं पाय।
बलिहारी है बेलन की , बीबी दियो बताय।।
मन वैरी तू बावरा ,इत उत कूं काहे भटकाय।
तन बेचारा मन से कहें, क्यों मोकूं पिटवाय।।
काया तेरी हुई कंकाल सी,मन तेरा हुआ जवान।
मुड़ मुड़ पाछे देखता रहे, तेरी बुद्धि क्यों भरमाय।।
सुंदर साली की मुस्कान,दिल पर कटार चलाय।
ज्यों ही प्रेम में आगे बढ़े, आंखों में पत्नी छाय।।
कवि की ऐसी कल्पना क्यों बार बार ललचाय।
जाने कब की दुश्मनी हमसे कविता लिखवाय।।
एक तरफ कुआं गहरा दूसरी तरफ है खाई।
लिखें कविता तो पिटें ना लिखें तो धमकाय।।